भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए, 1 जनवरी, 2024 को अपने पहले एक्स-रे ध्रुवीकरण उपग्रह ‘XPoSat’ का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया। यह मिशन ब्रह्मांड में तीव्र एक्स-रे स्रोतों, विशेष रूप से black holes के ध्रुवीकरण का अध्ययन कर उनके रहस्यों को उजागर करने का प्रयास करेगा।
इसरो प्रमुख श्री एस. सोमनाथ ने लॉन्च को एक “गौरवपूर्ण क्षण” बताया और कहा कि यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण प्रगति है। 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी58 रॉकेट आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में पहले लॉन्च पैड से सुबह 9:10 बजे आसमान में चढ़ गया। लॉन्च के दौरान मौजूद दर्शकों ने जोरदार तालियों की गड़गड़ाह से इसे विदाई दी।
XPoSat को 650 किलोमीटर के निम्न पृथ्वी कक्षा में स्थापित किया गया है, जहां से वह अंतरिक्ष में तीव्र एक्स-रे स्रोतों के ध्रुवीकरण का अध्ययन करेगा। ध्रुवीकरण यह बताता है कि एक्स-रे किरणें किस दिशा में कंपित करती हैं, जिससे वैज्ञानिकों को इन स्रोतों की प्रकृति और व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
XPoSat के मुख्य उपकरणों में ‘पोलिक्स’ (एक्स-रे में ध्रुवीकरण उपकरण) और ‘एक्सस्पेक्ट’ (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और समय) शामिल हैं। पोलिक्स ध्रुवीकरण मापदंडों को मापने में सहायक है, जबकि एक्सस्पेक्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी और समय पर ध्यान केंद्रित करता है। इस मिशन का जीवनकाल लगभग पांच वर्ष का होने का अनुमान है, जो वैज्ञानिक अवलोकन और डेटा संग्रह के लिए एक विस्तारित अवधि प्रदान करेगा।
XPoSat के सफल प्रक्षेपण के साथ, भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक बड़ा कदम आगे बढ़ा है। यह मिशन न केवल हमारे ब्रह्मांड के सबसे रहस्यमय वस्तुओं के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाएगा, बल्कि भारत की तकनीकी क्षमताओं को भी प्रदर्शित करेगा।
मुख्य बिंदु:
- भारत ने पहली बार एक्स-रे ध्रुवीकरण उपग्रह ‘XPoSat ‘ का सफल प्रक्षेपण किया।
- यह मिशन ब्रह्मांड में black holes और तीव्र एक्स-रे स्रोतों का अध्ययन करेगा।
- XPoSat के उपकरणों में ‘पोलिक्स’ और ‘एक्सस्पेक्ट’ शामिल हैं।
- इस मिशन से ब्रह्मांड के रहस्यों को उजागर करने में मदद मिलेगी।
Source: https://www.isro.gov.in/